Saturday, April 24, 2010

सचिन सिंड्रोम


सचिन सिंड्रोम

क्या आपको पता है की हर भारतीय एक बीमारी से ग्रस्त है ? जी हाँ जो दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है ...हर कोई उस बीमारी को अपने साथ लिए चलना चाहता है जिसे जैसे मौक़ा मिले उसका करीब से उसका अनुभव करना चाहता है इस बीमारी ने हमारी देश में महामारी का रूप ले लिया है,इसने हर वर्ग के लोगो को अपना शिकार बनाया है इसने उम्र धर्म लिंग और क्षेत्रीयता किसी को भी अपने रास्ते की बाधा नहीं बनने दिया और सबसे मुख्य बात यह है कि यह हमारे साथ पिछले बीस सालों से है और हम इससे खुद पीछा छुडाना नहीं चाहते ..जैसे जैसे वक़्त गुजरा यह हमारे जीवन का हिस्सा बन गई और यह उतनी ही घातक होती चली गई ,इसकी जड़े आज इतनी गहरी और मजबूत हो गई है की आज इस भारतीयों की ज़िंदगी से निकाल पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया है आपने सही पहचाना हम सभी "सचिन सिंड्रोम "से ग्रसित हैं

सचिन तेंदुलकर ने अपने खेल से भारतीयों के दिल में वो जगह बनाई है जो इससे पहले महात्मा गांधी ,जवाहर लाल नेहरू बना पाए थे .मेरी समझ में सचिन महात्मा गांधी के बाद सबसे महान भारतीय है .यह करिश्मा एक दिन में नहीं हुआ है कि वो उछालकर इस ऊँचाई पर पहुँच गए हैं वो आज लोगों के दिल पर राज करते हैं ..उनका देश के प्रति समर्पण आज जितना है उतना ही उस वक़्त भी था जब महज़ पंद्रह साल की उम्र में उन्होंने अपने क्रिकेटिंग करिअर की शुरुवात की थी ...उन्होंने देशवासियों को एकता के ऐसे सूत्र में पिरोया है जिसमें लोगों को सिर्फ गांधी ही पिरो पाए थे ...जिस तरह गांधी को भारतरत्न से ऊँचा दर्जा दिया गया है उसी तरह सचिन भी वास्तविक भारत रत्न हैं ..उन्हें राजनीती से प्रेरित किसी ऐसे अवार्ड की आवश्यकता नहीं है ....कांच की हीरे से तुलना की जा सकती है मगर हीरा तो हीरा ही होता है .उसमे भी कोहिनूर की तुलना बेमानी होगी

आज सचिन का जन्मदिन है ...भले ही वो सैंतीस वर्ष के हो गए हैं उन्हें इसी तरह देश के लिए आगे कई वर्षों तक हर भारतीय खेलते देखना चाहता है .....मेरी ओर से सचिन को जन्मदिन पर ढेर सारी शुभकामनाएँ .....जल्दी ही हम आपको सौ अंतर्राष्ट्रीय शतक बनाते और भारत को क्रिकेट का विश्वकप विजेता बनाते देखना चाहते हैं

2 comments:

  1. जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो। सचिन का जीवन इसका उदाहरण है। बहुत अच्छी प्रस्तुति।

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  2. बढ़िया लिखा भाई। सचिन के बारे में जो कुच कहा जाए कम है।

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