Sunday, April 11, 2010

उत्तरदायित्व और केंद्र सरकार
केंद्र सरकार आजकल राईट टू फ़ूड क़ानून को अमलीजामा पहनाने की कवायद में जुटी हुई है ..लेकिन गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों की संख्या के सही आंकड़ो का उपलब्ध न हो पाना सरकार के लिए गले की फांस बन गया है उपलब्ध रिपोर्टों के आधार पर सरकार कोई निर्णय नहीं ले पा रही है जबकि इस क़ानून को अमली जामा पहनाने का आश्वासन कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में दिया था यूपीए सरकार को दुबारा सत्ता पे काबिज़ हुए दो साल होने को हैं इससे तो यही लगता है की कांग्रेस का हाथ आम जनता के साथ तो है लेकिन उस हाथ को लकवा मार गया है
महंगाई अपने चरम पे है ...गरीब और माध्यम वर्गीय दोनों इसका शिकार हुए हैं पिछले साल आइसे बहुत ही कम ऐसे मौके आये
नक्सलवादी हिंसा में दिन ब दिन वृद्धि हो रही है ..
.सरकार बढ़ती अर्थ व्यवस्था का हवाला देकर ..लोगों को गुमराह कर रही है लेकिन वो अर्थव्यवस्था के प्रति भी जिम्मेदार नहीं है फिस्कल रिस्पोंसिबिलिटी एंड बजट मनेजमेंट एक्ट २००३ के आधार पर राजकोषीय घाटे को कम करना था लेकिन सरकार ने उसे अपने राजनीतिक फायदे के लिए बढ़ा दिया पिछले वित्तवर्ष २००९-१० में राजकोषीय घाटा ६.९ फीसदी और चालू वित्त वर्ष में ५.५ फीसदी रहने की आशा है
न्यूक्लियर लायबिलिटी बिल को बजट सत्र में पेश होना था लेकिन सरकार को भारी विरोध की आशंका थी और उसने इस टाल दिया

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